राज़ है यह
मत कहना
किसी से
आती थी वो
राजकुमारी सी
पाँच अश्वों के
तेज रथ पर
बड़ी मेज़
लगती थी हमें
वह पाँचों अश्व
साथ जो बिठाती थी
हम उम्र थी
पर बच्चों सी
चंचल, खोई
कहनियों में
और सपनों में
डर से पीली
ईर्ष्या से नीली
क्रोध से लाल
प्यार से गुलाबी
उसका रंग
बदलता रहता
हर पल
हर कहानी
हर सपने पर
और उसके
हिनहिनाते घोड़े
खींच ले जाते
मुझे भी
उन रंगों की
भूलभुलैया में
पर अब
मोहभंग हो रहा है
समझने लगा हूँ
जादूगरनी है
मेरी प्रेयसी
कैद किया था
मुझे अपने
अश्वों
कहानियाँ
सपनों में
मिलते हैं
हम अब भी
पर डूबता नहीं
मैं उसके रंगों में
देखता रहता हूँ
केवल उसे
शांत
मुस्कुराते हुए
कम हो रहा है
अब जादू उसका
साथ नहीं लाती है
अपने अश्वों को अब
और थम रही हैं
उसकी कहानियाँ
नहीं होता
पीला नीला
लाल गुलाबी
उसका चेहरा
अब मैं
उसका प्रेयस
बन रहा हूँ
और चल रहा है
मेरा जादू