Tuesday, February 2, 2021

मंच

रिक्त में 
व्यक्त
विस्तृत
और विलीन
होता हूँ
मैं

इस दरम्यान
रिक्त से
अतिरिक्त 
होने का
दम्भ
भरता हूँ
मैं

समय और 
स्थान के
रिक्त
रंगमंच पर
अभिनय
करता हूँ
मैं

और
मंच से परे
उदासीन
कौतूहल से
अपना अभिनय
निरखता हूँ
मैं

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दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का