Sunday, February 14, 2021

डर

तेरे सच की चिंगारी से
उसका महल जो पिघल रहा है

तेरे सवालों के जुगनुओं से
उसका अँधेरा जो बुझ रहा है

वो तुझे डराएगा
वो डर जो रहा है 

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दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का