Tuesday, March 2, 2021

एक और दुनिया

ऐ ईश्वर
तू है सचमुच तो
बनाई होगी तूने
एक और दुनिया

सत्ता होती होगी
निस्वार्थ लुटतेे हुए 
पेड़ों की वहाँ

जहाँ आदमियों से
बिलबिलाते होंगे
जमाखोर लोभी
आदमी

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दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का