Thursday, February 4, 2021

साहब

खेतों में कील बोआते हो
खौफ की फसल उगाते हो
फिर सीने का नाप गिनाते हो
साहब तुम खूब रिझाते हो

एक मजाक से मर जाते हो
एक कटाक्ष से कट जाते हो
फिर मन की बात बताते हो
साहब तुम खूब रिझाते हो

चीन को झूला झुलाते हो
नेहरू को गरियाते हो
फिर हैशटैग जंग चलाते हो
साहब तुम खूब रिझाते हो

शिक्षा बजट घटाते हो
पेट्रोल गगन छुआते हो
फिर अच्छे दिन दिखलाते हो
साहब तुम खूब रिझाते हो

No comments:

Post a Comment

दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का