Thursday, January 28, 2021

सिंहासन

सिंहासन पर
उठी हर ऊंगली
दूसरी हो जाती है

लंगड़ा है राजा का सिंहासन टिका है
दूसरेपन पर

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दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का