Tuesday, January 26, 2021

देशभक्त

मीडिया, अदालत, नेता, संस्थान
रोंदें गर रौंदें दर रोज संविधान
तू मगर बावला न बन ऐ किसान
हम नहीं सहेंगे झंडे का अपमान

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दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का