तूफ़ान को छूट है आए
पेड़, झोपड़ी, आदमी गिराए
पर महल के पर्दे न हिलाए
पर्दों का हिलना साजिश होगा
पेड़, झोपड़ी, आदमी गिराए
पर महल के पर्दे न हिलाए
पर्दों का हिलना साजिश होगा
हवा को छूट है जाए
राजा के मन की बात सुनाए
पर मुर्दों की गंध, राख न फैलाए
राख का फैलना साजिश होगा
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