Thursday, May 20, 2021

साजिश

तूफ़ान को छूट है आए
पेड़, झोपड़ी, आदमी गिराए 
पर महल के पर्दे न हिलाए
पर्दों का हिलना साजिश होगा

हवा को छूट है जाए
राजा के मन की बात सुनाए
पर मुर्दों की गंध, राख न फैलाए
राख का फैलना साजिश होगा

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दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का