Thursday, May 27, 2021

भविष्य की लाश

एक दिन तुम 
एक गुम्बद पर चढ़े थे
और तुम पर चढ़ा था
भूत का भूत

तुमने गिराया था 
उस गुम्बद को
और उस भूत ने तुम्हारे 
भविष्य के भविष्य को

अब सिंहासन पर
भूत बैठा है और 
भविष्य की लाश 
तैर रही है गंगा में

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दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का