Friday, July 2, 2021

राहु

भूत भविष
भाव भावना
भय औ भव के
भ्रम जाल में
ढक रखा है
राहु ने
सूरज को

अपना ओज 
निखार
राहु को
राख कर
जल उठना
यही सूरज का
धर्म है 

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दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का