Saturday, December 29, 2018

इंतजार

मैं तकूँ राह उम्र भर वो आए
उसकी जिद पहले अहम् जाए

Tuesday, December 4, 2018

गणित

शून्य अनंत
एक असंख्य

शून्य रिक्त
एक ठोस

शून्य सुन्न
एक उर्जित

शून्य और एक
से निर्मित

सृष्टि का
अंकगणित

Tuesday, November 27, 2018

मैं कौन

सागर
बादल
बर्फ
ओस
झरना
नदी
फिर सागर

अनवरत
अथक
प्रवास

बूंद का
या
पानी का

बूंद छल
पानी सत्य
या
पानी छल
बूंद सत्य

मैं कौन
पानी
या
बूंद

Tuesday, October 30, 2018

क्षण

समय
चले जितना

पार नहीं
हो सकता
इस क्षण के

Friday, September 28, 2018

भेड़ों का विश्वास

बिल्लियाँ बोलीं
गरीबी हटाओ
भेड़ों ने
विश्वास किया
और हट गई
सचमुच गरीबी
बिल्लियों की

भेड़िये बोले
अच्छे दिन आएंगे
भेड़ों ने
विश्वास किया
और आए
सचमुच अच्छे दिन
भेड़ियों के

भेड़ो को
विश्वास है
अपने विश्वास पर
कर रहे हैं
रक्षा डट कर
कुछ बिल्लियों के
महल की
कुछ भेड़ियों के
प्रासाद की

Sunday, September 23, 2018

तिरंगे का अपमान

कुली
ढोता बोझ
दो बार
सुबह स्टेशन
शाम परिवार

बोझ तले
बोध कहाँ
गरीब का
तिरंगे से
छांव चुराना
तिरंगे का
अपमान है
अपराध है

बोझ तले
बोध कहाँ
इकहत्तर
वर्षों में
गरीब के लिए
कानून है
न्याय नहीं

Saturday, September 1, 2018

उम्र कैद

क्या होगा याद
आखिरी सांस पर

वह पल
जिनके पंख लगा
मैं उड़ा
स्वच्छंद

या
उम्र सारी
जो गुजार दी
आकांक्षा की
कैद में

Friday, August 31, 2018

गद्दार

दीमक सेना बन बैठी
है देश की चौकीदार
नव भारत हो रहा उदित
अब हर दीपक गद्दार

Thursday, August 30, 2018

धुआँ

धुआँ
उठ रहा है
शहर में
बाईं ओर

आदमी
जल रहा है
शहर में
दाईं ओर

Thursday, August 23, 2018

दूसरा

घृणा या प्रेम
होते हैं दोनों
स्वयं ही से

या मैं दूसरा
या दूसरे मैं

Monday, August 13, 2018

त्रासदी

कुछ दुर्भाग्य, है राजा आदतन फरेबी
और कुछ त्रासदी, हैं हम फरेब के आदी

Sunday, August 12, 2018

फिर भी

वृक्षों का भू पर
प्राणी का वन पर
मछली का जल पर
पंछी का नभ पर
दावा नहीं

फिर भी क्या
खुश नहीं वो

मानव कहता
मैं स्वामी
भू का
वन का
जल का
नभ का

फिर भी क्यों
खुश नहीं वो

Friday, August 10, 2018

आदमी

है पत्थर में बसने लगा देव, जब से
आदमी के दिल का किराया बढ़ा है

सादगी

रौब कुछ ऐसा है सादगी का
द्वेष करता है हर रुतबा इससे

Thursday, July 19, 2018

आखिर

#१

वो आदमी
जिसकी जूठन पर
डकार ले ले
शहर सारा

आखिर
मिटती नहीं क्यों
भूख उसकी

#२
वो शहर
जिसकी फूँक में
खो जाता
सूरज सारा

आखिर
थकती नहीं क्यों
साँस उसकी

Wednesday, July 18, 2018

फासले

फासले अब इतने हो चले हैं खुद से
अपनी ही आवाज़ सुनाई नहीं देती

वो आँखें जो घूर रही हैं आईने से
क्यों अब सवाल भी नहीं करतीं

Tuesday, June 26, 2018

मुश्किलें

मुझे मुश्किलों से
शिकायत नहीं

मेरा घाम
इनसे छन कर
इत्र बनेगा

Sunday, June 24, 2018

ऋण

आज के विवेक पर
कल की जड़ता का
ऋण है

जैसे

आज की तितली के
पंख, सौंदर्य पर
कल के विरूप
कीट का
ऋण है

Saturday, June 23, 2018

क्षण


उम्र बीत जाती है
इसे खोजने में

छिपी बैठी हैं
इसी क्षण में
जिंदगी

एक










पुराना पत्ता
रास्ता देता है
नई कोपल को

गिरता है
मुस्कुराते हुए
अपनी खूबसूरती पर
इतराते हुए

बोध है
मानो उसे
अपने और
नई कोपल के
एक होने का

Thursday, June 21, 2018

वह

वह
जो रेस्तरां में
मेरे खाली गिलास में
पानी भर देता है

वह
जो होटल के
दरवाजे खोलता है
मेरे लिए

क्या हो
अगर वह
खुदा
रहा हो

Tuesday, June 19, 2018

दरअसल

यह आसमान
दरअसल
शुरू होता है
जमीन की
सतह से

यह शरीर
दरअसल
केवल छूता है
जमीन को
शेष रहता
आसमान में

यह कदम
दरअसल
नापते हैं
क्षितिज को

Tuesday, June 12, 2018

मैं

कोख़ में उपजा पहला कम्पन
थम रहे हृदय का अंतिम स्पंदन

मैं शून्य शून्य से रचित अनंत
मैं असंख्य सूर्य आच्छादक तम

मैं गूँज ओ३म्
मैं मौन व्योम

मैं भ्रांत सृजन
मैं सत्य बोध

मैं सत्य
मैं बोध

मैं

Sunday, June 10, 2018

पर्दे


डर
लोभ
उम्मीद
पश्चाताप


कितने पर्दे हैं
मेरे और मेरे बीच

उदासी


मेरे और इस क्षण के
बीच बैठती है
उदासी


जितनी दूरी
उतनी उदासी

उम्मीद


नाराज नहीं किया
जिंदगी ने कभी
कुछ इल्जाम मुझ पर
कुछ मेरी उम्मीद पर

Wednesday, June 6, 2018

साजिश


साजिश है जमाने की, मेरे दोस्त की खता नहीं
कितना मासूम है वो, उसे दोस्ती भी पता नहीं

Tuesday, June 5, 2018

कुर्बानी

तेरी कुर्बानी का रहेगा एहसान, ऐ दोस्त
मैंने खोई कुछ ही दौलत, पर तूने यारी

Sunday, June 3, 2018

सार

शब्द से कहो शांत रहें
शोर में सार खो जाता है

मन से कहो मौन रहे
सोच से सच ढक जाता है

ऐतबार

तू कर दगा
मैं ऐतबार करूँ
एक तेरा शौक
एक आदत मेरी

जीडीपी

लालकृष्ण कह गए अटल से
ऐसा कमल युग आएगा
कृषक त्रस्त रोजगार नदारद
जीडीपी छलांग लगाएगा
हे जी रे ~~

Thursday, May 31, 2018

नग्नराज

नग्नराज पोशाक पर, भगत रहे बौराय
व्हाट्सऐप के दौर में, शीसा कौन दिखाय

शीसा कौन दिखाय, करे नग्न नगन मा फर्क
अच्छे दिन की भंग है, चढ़ै सो बेड़ा गर्क

Friday, May 18, 2018

भक्त

तेरे भगवान से शिकायत नहीं
पर तेरी भक्ति पर है एतराज़

जुमला फरेब है उसका स्वार्थ
क्यों तुझे अपने लुटने पर नाज़

Tuesday, May 15, 2018

कातिल

(१)

तू मेरी पीठ में गड़े ये खंजर न देख
देख मैं अपना कातिल खुद चुनता हूँ

(२)
तू मेरे खुदा को दोष न दे
मैं खुश हूँ अपने लुट जाने पर

Sunday, May 13, 2018

अमीरी


जग जीते सो क्या अमीर
पल जी ले सो क्या फकीर

करिश्मा


चाह रही प्रकृति का कुछ करिश्मा देखूँ
और साँस चलती रही, दिल धड़कता रहा

Thursday, May 3, 2018

मौत

नाकाफ़ी है जिंदगी खुशनुमा हो
कोशिश रहे हो मौत भी हसीन


Monday, April 30, 2018

बुद्ध

रहा मूढ़ तैरता अपने ज्ञान की सतह पर
बुद्ध हुआ डूब अपने अज्ञान की थाह में

एकांत

इस भीड़ से दूर ले चलो
मुझे अकेला नहीं रहना

Monday, February 26, 2018

कहानी

कहानी वही जो बयाँ कर दे अपनी कहानी
वरना बहुतेरे है बयाँ करते अपनी ही कहानी

दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का