Saturday, June 23, 2018

एक










पुराना पत्ता
रास्ता देता है
नई कोपल को

गिरता है
मुस्कुराते हुए
अपनी खूबसूरती पर
इतराते हुए

बोध है
मानो उसे
अपने और
नई कोपल के
एक होने का

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दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का