Tuesday, June 19, 2018

दरअसल

यह आसमान
दरअसल
शुरू होता है
जमीन की
सतह से

यह शरीर
दरअसल
केवल छूता है
जमीन को
शेष रहता
आसमान में

यह कदम
दरअसल
नापते हैं
क्षितिज को

No comments:

Post a Comment

दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का