Wednesday, June 6, 2018

साजिश


साजिश है जमाने की, मेरे दोस्त की खता नहीं
कितना मासूम है वो, उसे दोस्ती भी पता नहीं

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दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का