Friday, August 10, 2018

आदमी

है पत्थर में बसने लगा देव, जब से
आदमी के दिल का किराया बढ़ा है

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दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का