Sunday, September 23, 2018

तिरंगे का अपमान

कुली
ढोता बोझ
दो बार
सुबह स्टेशन
शाम परिवार

बोझ तले
बोध कहाँ
गरीब का
तिरंगे से
छांव चुराना
तिरंगे का
अपमान है
अपराध है

बोझ तले
बोध कहाँ
इकहत्तर
वर्षों में
गरीब के लिए
कानून है
न्याय नहीं

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दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का