Wednesday, July 18, 2018

फासले

फासले अब इतने हो चले हैं खुद से
अपनी ही आवाज़ सुनाई नहीं देती

वो आँखें जो घूर रही हैं आईने से
क्यों अब सवाल भी नहीं करतीं

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दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का