Tuesday, May 15, 2018

कातिल

(१)

तू मेरी पीठ में गड़े ये खंजर न देख
देख मैं अपना कातिल खुद चुनता हूँ

(२)
तू मेरे खुदा को दोष न दे
मैं खुश हूँ अपने लुट जाने पर

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दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का