कल और कल
से भरा
खाली रहा
कलसा
एक बूंद
अब से
लबालब भरा
दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का
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