Monday, October 19, 2020

कलसा

कल और कल

से भरा

खाली रहा

कलसा


एक बूंद

अब से

लबालब भरा

कलसा

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दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का