ये सफर
सिफ़र से सिफ़र
तय करें कि
तय कैसे करें
या खुदी को लाद कर
या खुशी के पंख पर
दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का
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