Sunday, October 4, 2020

खोज

मैं

ढूंढता रहा

खुद को

शब्दों,

विचारों,

स्थितियों,

परिस्थितियों,

आवाजों,

रोशनियों,

में


वह

इंतजार करता रहा

मेरा

इन सभी के 

बीच बैठे

इन सभी को 

समाए हुए

शून्य,

शान्त,

अंधेरे,

अंतराल

में


मैं

दौड़ता रहा

खुद को

पाने को


वह

खड़ा रहा

यहीं

अभी

हमेशा से

मेरे लिए


अब

मैं

थम गया हूँ

और

उसने

मुझे

थाम लिया है


अब

मैं नहीं

वह नहीं

बस

शून्य

शान्त

अंधेरा

सूक्ष्म

विस्तृत

अंतराल है

No comments:

Post a Comment

दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का