Monday, October 19, 2020

और

और

रूप

वस्त्र

साधन

उपलब्धियाँ 

ज्ञान

पहनता रहा

मैं


और

कम

अधूरा

खाली

दिखता रहा

आईना


फिर

उतारा

मैं

मैंने


और

सैलाब

हो गया

आईना

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दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का