यहाँ हर हृदय में
फासला समाया है
हमने अपना कलंक
मुकुट पर सजाया है
बापू लौट जा
ये देस पराया है
सत्य की कब्र पर
रक्त जमाया है
हमने राम मन्त्र से
नाथू पनपाया है
दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का
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