Friday, October 2, 2020

बापू लौट जा

यहाँ हर हृदय में

फासला समाया है

हमने अपना कलंक

मुकुट पर सजाया है 

बापू लौट जा

ये देस पराया है


सत्य की कब्र पर

रक्त जमाया है 

हमने राम मन्त्र से

नाथू पनपाया है

बापू लौट जा

ये देस पराया है

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दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का