हे राम
धर्म की रक्षा की
तुम्हारी भूमि ने
न्याय को मार कर
दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का
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