वो धर्म बचा रहा है
तू स्कूल अस्पताल न कर
राजा से सवाल न कर
वो इतिहास सँवार रहा है
तू नौकरी पर बवाल न कर
राजा से सवाल न कर
वो बुलेट ट्रेन दौड़ा रहा है
तू "पॉटहोल" का खयाल न कर
राजा से सवाल न कर
दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का
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