Sunday, September 6, 2020

कुंठा

तबाही भाने लगी है

सिंहासन पर बिठाया है

अपनी कुंठा को जब से 

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दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का