अजब दौड़ है
गिरने की होड़ है
मूर्खता का ईनाम
वाइ-प्लस
धूर्तता का पुरस्कार
ज़ेड-प्लस
दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का
No comments:
Post a Comment