Wednesday, September 30, 2020

हाथरस की बिटिया

क्यों बैठे हो तुम

चुपचाप 


क्या तुम्हारी 

जिव्हा भी 

काट ली है

पूर्वाग्रहों ने

चुपचाप


क्या तुम्हारी

आत्मा भी

जला दी गई है

रात के अँधेरे में

चुपचाप

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दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का