क्यों बैठे हो तुम
चुपचाप
क्या तुम्हारी
जिव्हा भी
काट ली है
पूर्वाग्रहों ने
आत्मा भी
जला दी गई है
रात के अँधेरे में
दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का
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