Tuesday, September 15, 2020

अस्थाई मजदूर

अस्तित्व

हुआ करता था

भारत में

मेरा भी


अस्थाई सही

हाशिये पर सही

सरकार मुझे

गिनती तो थी


पर अब 

मैं नहीं रहा

मुझे मार दिया

दो बार


पहले

हाईवे पर

चलते हुए


और फिर

सरकारी

आंकड़ों में

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दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का