कुछ अपने
कुछ अपनाए हुए
बीते क्षणों
के घाव लिए
घायल
घूम रहे हैं
हम सब
कर्म के
शर्म के
धर्म के
मर्म के
इन घावों
के आदी
हो गए हैं
हम सब
व्हाट्सएप
और टीवी से
हर रोज़
इन घावों को
कुरेदते हैं
हम सब
इन घावों
और उनमें जमा
घृणा-पीब को
कोई शत्रु
प्रेम-मरहम से
छरछरा न सके
इसलिए सतर्क
रहते हैं
हम सब
No comments:
Post a Comment