वह विवादित ढांचा
जिसे संविधान कहते हैं
गिराया जा रहा है
रोज़ ब रोज़
पर किसी साजिश के
सबूत अपर्याप्त हैं
वह असहाय अस्मिता
जिसे न्याय कहते हैं
नोची, जलाई जा रही है
रोज़ ब रोज़
पर किसी साजिश के
सबूत अपर्याप्त हैं
अदालत का फैसला है
कोई जिम्मेदार नहीं
बाइज्ज़त बरी हों
आरोपी सारे
और आरोपियों से
निवेदन है उस
ढांचे के बदले
भव्य मंदिर बनाएं
न्याय हो न हो
न्याय की भव्य
मूर्ति हो
पूजा हो
रोज़ ब रोज़
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