Monday, December 16, 2019

सच का साहस


तू तपा अपने सच के आक्रोश को
इसकी चिनगारी से सूरज बना दे
काँप जाए झूठ का झूठा रुतबा
साहस से अपनी ऊंगली उठा दे

भेड़ों का राजा

कुछ भेड़ें गैर हैं
उनसे भेड़ों का बैर है

भेड़ों ने कपट जाल बुना है
भेड़िये को अपना राजा चुना है

राजा गैर भेड़ें खाता है
इस लिए भेड़ों को भाता है

Saturday, November 9, 2019

राम लला


#१

क्या हुआ कि यहाँ
खून बहा था
आदमी मरा था

दाग पोंछ दिये
गंगा जल से हमने

राम लला
तुम लौट आओ
निसंकोच

#२

क्या हुआ कि यहाँ
आस्था गिरी थी
मर्यादा मरी थी

तुमसे दूर भेज दिया
खुदा को हमने

राम लला
तुम रहो यहाँ
बेखौफ़

Wednesday, October 2, 2019

बापू

क्या बात है तेरी हस्ती में बापू
तेरे कातिल तुझे मार नहीं पाते

Thursday, August 15, 2019

स्वतंत्र

स्व से स्वतंत्र है
स्व से ही स्वाधीन
स्व जगा तो जग जगे
स्व सुसुप्त जग हीन

Monday, August 12, 2019

फिक्र

मैं परेशान
समेटता रहा उसे

वो बेपरवाह
बिखरती रही

जिंदगी मेरा सब्र
सतत परखती रही

अब
मैं बेफिक्र
बहने लगा हूँ
मौज सा

और
वो बेसब्र
सिमटने लगी है
मुझ ही में

Thursday, August 8, 2019

अंधेरा

चांद ने कहा
सूरज है
अंधेरे का दोषी

हमने चांद को
सूरज बना दिया

अब ठंड है
धूप नहीं होती

हर पूनम
पूजते हैं
चांद को

हर अमावस्
कोसते हैं
सूरज को

Thursday, July 25, 2019

खेल

क्षण
विशाल वृक्ष सा
अथाह ब्रह्म में
फैलाए अनगिनत
टहनियां

समय
अनवरत टहनियों सा
बिखेरता स्मृतियों के
तिनके

तिनके समेट
तनिक तनिक
तन-घोसला बनाती
रूह

खेल
खेल रहे
निरंतर
रूह
और
ब्रह्म

मुश्किल

हम पहले मिलते थे
तो मैं डर जाता था

फिर मुलाकातें बढ़ीं
और दोस्ती हो गई
मै तुझसे, तू मुझसे
मजाक करने लगी

ऐ मुश्किल
अब मैं तेरा महबूब हूँ
तेरे बिना नहीं कटता
एक पल भी
मुश्किल से

Friday, May 10, 2019

पतन

दिनोंदिन
गिर रहा है
वो आदमी

बनना है
खुदा जो उसे

Tuesday, May 7, 2019

ख्वाहिश





ख्वाहिश है

आँख लगे

बतियाते हुए

चाँद से 


और

आँख खुले

एक पीली चादर 

की छांव में

Friday, April 12, 2019

गुमान

गुमान हुआ
दो लहरों को

मैं भिन्न
मैं बेहतर

दोनों
पानी हो गईं

साया

रोशनी में
छोटा हो
छुप जाता है
मुझमें

अंधेरे में
चादर सा
छुपा लेता है
मुझको

मेरा साया
कुछ कुछ
मेरी माँ
जैसा है

Sunday, April 7, 2019

सचमुच

प्रतिदिन
उदय और अस्त
होता सूर्य
रंग बिखेरता है
नभ पर

पर क्या सूर्य
उदय या अस्त
होता है सचमुच

क्या सूर्य ही
बिखेरता है
रंग सचमुच

क्या होता है
नभ सचमुच
और क्या होता है
वह रंग सचमुच

Thursday, March 21, 2019

राजा

अपनी शक्सियत पर इतराता है जो
क्यों आईने से इतना घबराता है वो

Monday, February 25, 2019

चाँद

अपने अंधेरों में
मुझे टाँग दो
चाँद सा

मुस्कान न सही
चमका दूँ
तुम्हारे आँसू

दोस्त हो जाएँ
तुम्हारे दर्द
और मेरे दाग

चाँद सा
मुझे टाँग दो
अपने अंधेरों में

Sunday, February 24, 2019

सियासत

सोचा लिखूँ कुछ
सियासत पर

पर
सियाही फिसल कर
धब्बा छोड़ गई

शायद
कागज़ बिका था
या उम्मीद मरी थी

Thursday, February 14, 2019

माँ

मैंने पूजा, भगवान् ने आरती की
आज मंदिर में माँ की तस्वीर थी

Wednesday, January 23, 2019

खटमल बनाम दीमक

मैं चाहता हूँ
तुम्हें जोर से हिलाऊँ
आँखों में सूरज चमकाऊँ
कानों में शोर मचाऊँ
ठंडा पानी छिड़कूँ

मैं चाहता हूँ
तुम जागो
और जानो
तुम्हारी चारपाई
जिस पर तुम सोए हो
दीमकों ने
उसका बुरादा भी नहीं छोड़ा
और जानो
खटमलों ने
तुम्हारा खून
पानी कर दिया है

हर पाँच वर्ष
तुम नींद में चल कर
जाते हो
दीमकों और खटमलों को
अदल बदल कर
फिर सो जाते हो

लेकिन मैं
तुम्हें नहीं हिलाऊँगा
सूरज नहीं चमकाऊँगा
शोर नहीं मचाऊँगा
पानी नहीं छिड़कूँगा
नहीं जगाऊँगा

क्योंकि तुम सोए नहीं हो
तुम ढोंग कर रहे हो

तुम्हें दीमकों से शिकायत नहीं
बशर्ते वह तुम्हारे पसंद के हों
और ५६ इंच सीना फुला
तुम्हारी बुरादानुमा
चारपाई माता का जयगान करें

तुम्हें खटमलों से परहेज नहीं
बशर्ते उनका खानदानी खून
जनेऊ पहन कर
तुम्हारे पानीनुमा
रक्त का गुणगान करे

खेद है
तुम नहीं जाग सकते
क्योंकि तुम सोए नहीं हो
अगर सोए होते
तो उम्मीद रहती
तुम्हारे जागने की
उम्मीद रहती
नई चारपाई की
नए खून की

Saturday, January 12, 2019

जिंदगी

तब
मैं नाचता रहा
उसकी ताल पर

और वह
मुस्कराती रही
मुझ पर

अब
नाचता हूँ
अपनी ताल पर

और वह
मुस्कराती है
मेरे साथ

दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का