Monday, August 12, 2019

फिक्र

मैं परेशान
समेटता रहा उसे

वो बेपरवाह
बिखरती रही

जिंदगी मेरा सब्र
सतत परखती रही

अब
मैं बेफिक्र
बहने लगा हूँ
मौज सा

और
वो बेसब्र
सिमटने लगी है
मुझ ही में

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दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का