Saturday, January 12, 2019

जिंदगी

तब
मैं नाचता रहा
उसकी ताल पर

और वह
मुस्कराती रही
मुझ पर

अब
नाचता हूँ
अपनी ताल पर

और वह
मुस्कराती है
मेरे साथ

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दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का