Tuesday, May 7, 2019

ख्वाहिश





ख्वाहिश है

आँख लगे

बतियाते हुए

चाँद से 


और

आँख खुले

एक पीली चादर 

की छांव में

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दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का