Friday, April 12, 2019

साया

रोशनी में
छोटा हो
छुप जाता है
मुझमें

अंधेरे में
चादर सा
छुपा लेता है
मुझको

मेरा साया
कुछ कुछ
मेरी माँ
जैसा है

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दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का