Thursday, December 3, 2020

सतहें

मैं अपने
घावों
कमियों को  
कोसता रहा

और मैं
घायल
अधूरा
होता रहा 

अब इन्हें
प्यार
दे रहा हूँ

और मैं
स्वस्थ
पूरा
हो रहा हूँ

ये खूबसूरत
सतहें हैं
जो धीरे-धीरे
घुल कर

मुझसे
मुझको
मिला रही हैं

और मैं
स्वस्थ
पूरा
हो रहा हूँ 

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दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का