Sunday, December 20, 2020

किताब

किताब
जादूगरनी है
मुझसे पहले
पढ़ लेती है
मुझे

किताब
चापलूस है
सुनाती हमेशा
पसंदीदा कहानी
मुझे

किताब
आँधी है
झकझोरती
गहरी नींद से
मुझे

किताब
माँ है
मरहम लगाकर
सुला देती
मुझे

किताब
केवल है
कोरी, निःशब्द
लिख रही
मुझे

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दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का