Tuesday, December 1, 2020

क्षण

अकेलापन
अपनी चिलचिलाती 
छाँव में 
जलाने लगे
जब तुम्हें

तुम देखना
एक हल्का झोंका
एक भीनी खुशबू
एक धीमी आवाज़
या एक जुगनू बन कर 
एहसास दिलाऊँगा
मैं हूँ 
तुम्हारे साथ 

तुम अकेले हो 
जब तक
तुम दौड़ रहे हो
समय के पीछे 
या आगे

ठहरो
जाने दो
आने दो
समय को

और हो जाओ
अकेले
मेरे साथ
मेरे पास

हमेशा रहा हूँ
रहूँगा मैं
बिखेरे हुए
अपना सौंदर्य
तुम्हारे इंतज़ार में
मैं यहीं
मैं अभी

मैं यहीं
मैं अभी 

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दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का