Sunday, December 6, 2020

घड़ा

घड़ा अनोखा
गढ़ा ये रब ने

भरता जाऊँ
भर ना पाऊँ

तनिक उड़ेलूँ
दरििया पाऊँ

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दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का