Wednesday, September 30, 2020

रामभूमि

 हे राम

धर्म की रक्षा की

तुम्हारी भूमि ने

न्याय को मार कर

हे राम


बहुमत

 कोई पुलिस

कोई अदालत

कोई नेता

नहीं मार सकता

न्याय को


न्याय की हत्या

करते हैं

हम और आप

अपने मत से

बहुमत से

हाथरस की बिटिया

क्यों बैठे हो तुम

चुपचाप 


क्या तुम्हारी 

जिव्हा भी 

काट ली है

पूर्वाग्रहों ने

चुपचाप


क्या तुम्हारी

आत्मा भी

जला दी गई है

रात के अँधेरे में

चुपचाप

Tuesday, September 15, 2020

अस्थाई मजदूर

अस्तित्व

हुआ करता था

भारत में

मेरा भी


अस्थाई सही

हाशिये पर सही

सरकार मुझे

गिनती तो थी


पर अब 

मैं नहीं रहा

मुझे मार दिया

दो बार


पहले

हाईवे पर

चलते हुए


और फिर

सरकारी

आंकड़ों में

Friday, September 11, 2020

देशप्रेम

धंधा तो 

धंधा है 

थोड़ा चेक

बाकी कैश में


मित्रों को

प्रेम बहुत है

लेकिन अपने

देश से

Thursday, September 10, 2020

पोस्टमैन

एक ही 

है काम

हम दोनों का


मैं संदेश 

पहुँचाता हूँ

और तुम भी


लेकिन मैं

संदेश में

मिलावट 

नहीं करता


मेरे

लिफाफे में

अफीम

नहीं होती


अरे मैं

पोस्टमैन है


पोस्टमैन है

मैं

मीडिया

कौन कहता है

मीडिया बिक गया है

मिट गया है


मैंने देखा है

उसे बेखौफ

सवाल पूछते हुए

एक डाकिये से

Wednesday, September 9, 2020

सवाल न कर

वो धर्म बचा रहा है

तू स्कूल अस्पताल न कर

राजा से सवाल न कर


वो इतिहास सँवार रहा है

तू नौकरी पर बवाल न कर

राजा से सवाल न कर


वो बुलेट ट्रेन दौड़ा रहा है

तू "पॉटहोल" का खयाल न कर

राजा से सवाल न कर

होड़

अजब दौड़ है

गिरने की होड़ है

मूर्खता का ईनाम 

वाइ-प्लस

धूर्तता का पुरस्कार

ज़ेड-प्लस

इंद्रधनुष

चाह है कि 
खोज लूँ
रंग 
अपने सभी 

फिर
बिखर कर
हो जाऊँ
आसमाँ 

Sunday, September 6, 2020

कुंठा

तबाही भाने लगी है

सिंहासन पर बिठाया है

अपनी कुंठा को जब से 

दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का