हे राम
धर्म की रक्षा की
तुम्हारी भूमि ने
न्याय को मार कर
हे राम
कोई पुलिस
कोई अदालत
कोई नेता
नहीं मार सकता
न्याय को
न्याय की हत्या
करते हैं
हम और आप
अपने मत से
बहुमत से
क्यों बैठे हो तुम
चुपचाप
क्या तुम्हारी
जिव्हा भी
काट ली है
पूर्वाग्रहों ने
चुपचाप
क्या तुम्हारी
आत्मा भी
जला दी गई है
रात के अँधेरे में
चुपचाप
अस्तित्व
हुआ करता था
भारत में
मेरा भी
अस्थाई सही
हाशिये पर सही
सरकार मुझे
गिनती तो थी
पर अब
मैं नहीं रहा
मुझे मार दिया
दो बार
पहले
हाईवे पर
चलते हुए
और फिर
सरकारी
आंकड़ों में
वो धर्म बचा रहा है
तू स्कूल अस्पताल न कर
राजा से सवाल न कर
वो इतिहास सँवार रहा है
तू नौकरी पर बवाल न कर
राजा से सवाल न कर
वो बुलेट ट्रेन दौड़ा रहा है
तू "पॉटहोल" का खयाल न कर
राजा से सवाल न कर
दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का