आज अख़बार में छपा है
टीवी पर चर्चा भी हो रही है
मेरे बारे में
नहीं मेरे रेप के बारे में
कुछ लोग क्षोभित हैं
कुछ क्षोभ जता रहे हैं
कुछ कहते है सरकार है दोषी
पर मैं जानती हूँ सरकार नहीं थी वहाँ
सरकार कहीं नहीं थी
होती तो यह न होता
टीवी पर चर्चा भी हो रही है
मेरे बारे में
नहीं मेरे रेप के बारे में
कुछ लोग क्षोभित हैं
कुछ क्षोभ जता रहे हैं
कुछ कहते है सरकार है दोषी
पर मैं जानती हूँ सरकार नहीं थी वहाँ
सरकार कहीं नहीं थी
होती तो यह न होता
वो मेरा नाम नहीं लेते
रेप के बाद नहीं रहता नाम
न रहती है उम्र
बच्ची बन जाती है महिला
कोई कल नहीं होता
रह जाता है केवल एक कल
केवल एक कलंक
कुछ कहते हैं कोई और दोषी है
पर इसका पता एक ब्रेक के बाद चलेगा
तब तक आप विज्ञापन देखिये
रंगीले पानी का विज्ञापन
रंगीले पानी में आम नहीं है
पर विज्ञापन में आम है
एक अभिनेत्री भी है
वो आम नहीं है
शायद वो आम खा रही है
अभिनेत्रियां ऐसे ही खाती है
इसीलिए आम को भाती है
आम जो कभी कभी
मोमबत्तियाँ भी जला लेते हैं
विज्ञापन ख़त्म
चर्चा में नए लोग आ गए
पिछलों को जाना था दूसरे स्टूडियो
जहाँ से ये नए लोग आये है
ये कहते हैं समाज का दोष है
पर समाज कहाँ था
वहाँ नहीं था
होता तो यह न होता
अब चर्चा जोरों पर है
कुछ लोग क्रोधित हैं
कुछ क्रोध जता रहे हैं
कुछ चिल्ला रहे हैं
कुछ की नज़र टी आर पी पर है
यह चर्चा मेरे बारे में है
नहीं मेरे रेप के बारे में है
पर मैं कहाँ हूँ इस चर्चा में
मैं कभी नहीं होती
होती तो यह न होता
No comments:
Post a Comment