Monday, July 14, 2014

कंधे

कंधे
चलते दौड़ते
थमे कुछ
चले लेकर
ठहरी साँसों को
लिपटा कर
लपटों में
फिर लगे
चलने दौड़ने
कंधे

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दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का