मरघट की राख
मरे हुए इंसान की
या मारे हुए पेड़ की
शायद पेड़ की राख
क्योंकि थी अशांत
नहीं समझ पाई क्यों
मारा जलाया उसे
अकारण
या थी इंसान की आँख
क्योंकि थी अशांत
नहीं समझ पाई क्यों
जलाया उसे अकारण
वरना देती रोशनी
किसी नेत्रहीन को
दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का
No comments:
Post a Comment