Tuesday, June 26, 2018

मुश्किलें

मुझे मुश्किलों से
शिकायत नहीं

मेरा घाम
इनसे छन कर
इत्र बनेगा

Sunday, June 24, 2018

ऋण

आज के विवेक पर
कल की जड़ता का
ऋण है

जैसे

आज की तितली के
पंख, सौंदर्य पर
कल के विरूप
कीट का
ऋण है

Saturday, June 23, 2018

क्षण


उम्र बीत जाती है
इसे खोजने में

छिपी बैठी हैं
इसी क्षण में
जिंदगी

एक










पुराना पत्ता
रास्ता देता है
नई कोपल को

गिरता है
मुस्कुराते हुए
अपनी खूबसूरती पर
इतराते हुए

बोध है
मानो उसे
अपने और
नई कोपल के
एक होने का

Thursday, June 21, 2018

वह

वह
जो रेस्तरां में
मेरे खाली गिलास में
पानी भर देता है

वह
जो होटल के
दरवाजे खोलता है
मेरे लिए

क्या हो
अगर वह
खुदा
रहा हो

Tuesday, June 19, 2018

दरअसल

यह आसमान
दरअसल
शुरू होता है
जमीन की
सतह से

यह शरीर
दरअसल
केवल छूता है
जमीन को
शेष रहता
आसमान में

यह कदम
दरअसल
नापते हैं
क्षितिज को

Tuesday, June 12, 2018

मैं

कोख़ में उपजा पहला कम्पन
थम रहे हृदय का अंतिम स्पंदन

मैं शून्य शून्य से रचित अनंत
मैं असंख्य सूर्य आच्छादक तम

मैं गूँज ओ३म्
मैं मौन व्योम

मैं भ्रांत सृजन
मैं सत्य बोध

मैं सत्य
मैं बोध

मैं

Sunday, June 10, 2018

पर्दे


डर
लोभ
उम्मीद
पश्चाताप


कितने पर्दे हैं
मेरे और मेरे बीच

उदासी


मेरे और इस क्षण के
बीच बैठती है
उदासी


जितनी दूरी
उतनी उदासी

उम्मीद


नाराज नहीं किया
जिंदगी ने कभी
कुछ इल्जाम मुझ पर
कुछ मेरी उम्मीद पर

Wednesday, June 6, 2018

साजिश


साजिश है जमाने की, मेरे दोस्त की खता नहीं
कितना मासूम है वो, उसे दोस्ती भी पता नहीं

Tuesday, June 5, 2018

कुर्बानी

तेरी कुर्बानी का रहेगा एहसान, ऐ दोस्त
मैंने खोई कुछ ही दौलत, पर तूने यारी

Sunday, June 3, 2018

सार

शब्द से कहो शांत रहें
शोर में सार खो जाता है

मन से कहो मौन रहे
सोच से सच ढक जाता है

ऐतबार

तू कर दगा
मैं ऐतबार करूँ
एक तेरा शौक
एक आदत मेरी

जीडीपी

लालकृष्ण कह गए अटल से
ऐसा कमल युग आएगा
कृषक त्रस्त रोजगार नदारद
जीडीपी छलांग लगाएगा
हे जी रे ~~

दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का