Friday, October 2, 2015

डू यू लव मी

वो इकलौती है
हँसती जो
मेरे अच्छे बुरे
हर लतीफ़े पर

वो इकलौती है
इंतजार करती
मेरे फोन का
हर उड़ान के
पहले और बाद

वो इकलौती है
डांटती माँ सी
और हक जताती
जैसे बेटी हो

वो इकलौती है
कहती जो "नो"
पूँछता मैं जब
"डू यू लव मी"

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दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का