Tuesday, February 4, 2025

दस्तक

दस्तक
देता रहता है
कि सुन सके
अपनी ही दस्तक
"मैं"

मैं को
शक है
अपने होने पर

मैं को
भय है
अपने न होने का

Wednesday, January 15, 2025

साक्षी

जो लिखा सो सही
सच वो पूरा पर नहीं

दे रहा इस पल जो दस्तक
उसकी तो पुस्तक नहीं

तू ठहर हो शांत साक्षी
तुझ सिवा तो कुछ नहीं


ईसा

अपने हाथों में
अपने ही हाथों से
कील ठोंक कर
सलीब पर
टांग रहा हूँ
मैं
मैं को

उस सलीब और
उन कीलों को
भिगो कर
रिस रहे रक्त से
उठ रहा है
ईसा


Thursday, January 9, 2025

संबल

संबल
चाहे नाम हो
अभिमान हो
या क्यों न
भगवान हो

संबल
को पीड़ा नहीं
विरह की
अगर उसे छोड़
मैं खुद
संभल लूँ


Wednesday, January 1, 2025

इस साल

इस साल
कुछ पाना नहीं है
खोज लेना है बस
गुमशुदा खुद को।

इस साल
कहीं जाना नहीं है
लौट आना है बस
यहाँ, अभी।

इस साल
कुछ बनना नहीं है
हो जाना है, बस
हो रहना‌ है।

Sunday, October 27, 2024

धीरे-धीरे

फरेब
बहाने 
झूठ
मिट रहे हैं
धीरे-धीरे

आकृतियाँ
कहानियाँ
शब्द
घुल रहे हैं
धीरे-धीरे

अहम्
वहम्
फहम
से कुछ दूर 
मिल रहे हैं 
हम
धीरे-धीरे

मैं
घट रहा है
धीरे-धीरे
और
मैं
घट रहा हूँ
धीरे-धीरे


Thursday, October 24, 2024

संबल

ज्ञान
मान,
ध्यान,
भगवान
गिरना होगा 
हर वह संबंल
खड़ा है
जिस पर
"मैं"

मैं
और मैं के
हर संबंल के 
गिरने पर ही
तैरूंगा
होकर एक 
एक से

दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का