Thursday, January 9, 2025

संबल

संबल
चाहे नाम हो
अभिमान हो
या क्यों न
भगवान हो

संबल
को पीड़ा नहीं
विरह की
अगर उसे छोड़
मैं खुद
संभल लूँ


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दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का