जो लिखा सो सही
सच वो पूरा पर नहीं
सच वो पूरा पर नहीं
दे रहा इस पल जो दस्तक
उसकी तो पुस्तक नहीं
तू ठहर हो शांत साक्षी
तुझ सिवा तो कुछ नहीं
दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का