Friday, August 31, 2018

गद्दार

दीमक सेना बन बैठी
है देश की चौकीदार
नव भारत हो रहा उदित
अब हर दीपक गद्दार

Thursday, August 30, 2018

धुआँ

धुआँ
उठ रहा है
शहर में
बाईं ओर

आदमी
जल रहा है
शहर में
दाईं ओर

Thursday, August 23, 2018

दूसरा

घृणा या प्रेम
होते हैं दोनों
स्वयं ही से

या मैं दूसरा
या दूसरे मैं

Monday, August 13, 2018

त्रासदी

कुछ दुर्भाग्य, है राजा आदतन फरेबी
और कुछ त्रासदी, हैं हम फरेब के आदी

Sunday, August 12, 2018

फिर भी

वृक्षों का भू पर
प्राणी का वन पर
मछली का जल पर
पंछी का नभ पर
दावा नहीं

फिर भी क्या
खुश नहीं वो

मानव कहता
मैं स्वामी
भू का
वन का
जल का
नभ का

फिर भी क्यों
खुश नहीं वो

Friday, August 10, 2018

आदमी

है पत्थर में बसने लगा देव, जब से
आदमी के दिल का किराया बढ़ा है

सादगी

रौब कुछ ऐसा है सादगी का
द्वेष करता है हर रुतबा इससे

दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का